Last modified on 15 जून 2009, at 22:03

कारे कजरारे सटकारे घुँघवारे प्यारे / घासीराम

कारे कजरारे सटकारे घुँघवारे प्यारे ,
मणि फणि वारे भोर फबन लौँ ऊटे हैँ ।
बासे हैँ फुलेल ते नरम मखतूल ऎसे ,
दीरघ दराज ब्याल ब्यालिन लौं झूठे हैँ ।
घासीराम चारु चौंर जमुना सिवार बोरोँ ,
ऎसी स्याम्ताई पै गगन घन लूटे हैँ ।
छाई जैहै तिमिर बिहाय रैनि आय जैहै ,
झारि बाँध अजहूँ सभाँर वार छूटे हैँ ।


घासीराम का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।