वो जो नया ईश्वर है वह इतना निर्मम क्यों है ?
उसकी गीतों में हवस क्यों है ?
किस तेज़ाब से बना है उसका सिक्का ?
उसके हैं बम के कारखाने ढेर सारे
जिसे वह बच्चों की देह में लगाता है
वह जिन्नातों का मालिक है
वह हँसते चेहरों का नाश्ता करता है
हँसता है काला राक्षस मेरे ईश्वर पर
कल जिसे बनाया था
आज फिर बदल गया
उसकी शव-यात्रा में लोग नहीं
सिर्फ़ झंडे निकलते हैं