दीपक से
देवली होती है श्यामल
लालटेन का काँच भी
हो जाता है काला-स्याह
लाल
सिन्दूरी
समई से
पूजाघर स्याह हो जाता है
कोई भी
उजाला
क्यों नहीं मिलता
बग़ैर कालिमा के !
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत
दीपक से
देवली होती है श्यामल
लालटेन का काँच भी
हो जाता है काला-स्याह
लाल
सिन्दूरी
समई से
पूजाघर स्याह हो जाता है
कोई भी
उजाला
क्यों नहीं मिलता
बग़ैर कालिमा के !
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत