दिप दिप दीपै जोत
अंधेरो के कहसी !
देसी निज रा पोत
कलख रो गढ़ ढहसी !
चोस सकै कद मौत
गीत रो रस बहसी,
घिसगी काळ करोत
सबद री जड़ रहसी !
दिप दिप दीपै जोत
अंधेरो के कहसी !
देसी निज रा पोत
कलख रो गढ़ ढहसी !
चोस सकै कद मौत
गीत रो रस बहसी,
घिसगी काळ करोत
सबद री जड़ रहसी !