Last modified on 10 अक्टूबर 2010, at 12:24

काश / अमरजीत कौंके

मेरा प्यार
तुम पर
इस तरह बरसता है
जैसे किसी पत्थर पर
लगातार
कोई झरना
गिरता है

काश !
तुम्हें कभी
बारिश में
किसी वृक्ष की भाँति
भीगने की
कला आ जाए ।


मूल पंजाबी से हिंदी में रूपांतर : स्वयं कवि द्वारा