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काश / रंजना जायसवाल
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रंजना जायसवाल
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जब मैं स्त्री हूँ
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मैं
आधा दिन
करती हूँ
जिससे प्यार
आधा दिन
उसी से संघर्ष
काश!
दिन दो टुकड़ों में न बँटा होता।