काहू जोगीकी नजर लागी है मेरो कुंवर । कन्हिया रोवे ॥ध्रु०॥
घर घर हात दिखावे जशोदा दूध पीवे नहि सोवे ।
चारो डांडी सरल सुंदर । पलनेमें जु झुलावे ॥मे०॥१॥
मेरी गली तुम छिन मति आवो । अलख अलख मुख बोले ।
राई लवण उतारे यशोदा सुरप्रभूको सुवावे ॥मे०॥२॥
काहू जोगीकी नजर लागी है मेरो कुंवर । कन्हिया रोवे ॥ध्रु०॥
घर घर हात दिखावे जशोदा दूध पीवे नहि सोवे ।
चारो डांडी सरल सुंदर । पलनेमें जु झुलावे ॥मे०॥१॥
मेरी गली तुम छिन मति आवो । अलख अलख मुख बोले ।
राई लवण उतारे यशोदा सुरप्रभूको सुवावे ॥मे०॥२॥