का लिखियो हम गीत मिसिरजी,
का लिखियो हम गीत।
छू-मन्तर हो गेलो छन में-
बरसो के बेसाहल प्रीत।
का लिखियो हम गीत।
घुच्च अन्हरिया रात अनेरा-
पहरा दीया बाती के,
देह जलाके नेह भरे से-
अप्पन मन संघाती के;
कॉच पिरितिया सिहरन ढरके-
नयना झलके मीत।
का लिखियो हम गीत।
जब देह सटौले हिरना-हिरनी
मंगल मोद मनावे,
बदरा कलि मुॅख पनसोखा बन
चूमे फगुआ गाबे;
नीम निबौरा कोख छिपावे
वर पहने उपवीत।
का लिखियो हम गीत।
अलसायल कोहवर के घूंघट
धीरे-धीरे सरके,
अंगना में जोरल गोइठा के-
अगिया, अंगिया फड़के;
सगुन उगाहे मृगनयनी तब-
समझ दरद के रीत।
का लिखियो हम गीत।