कितना खलता है
अपने में तिल-तिल घटना
तट की चट्टानों-सा
धीरे-धीरे कटना
बर्फ़ के पहाड़ों-सा
क्रमशः हलका होना
जल से आहत होने पर भी —
जल का होना
आटे की गोली-सा
मछली-मछली बँटना
कितना खलता है
चुभते एहसासों से
बचने-कतराने में
झरबेरी-सी उलझी
सुबहें सुलझाने में
केले के पत्ते-सा
रेशे-रेशे फटना
कितना खलता है
छूट गई ट्रेनें जो —
उनकी धुन्धली कतार
डूब रही नब्ज़ —
लौट आने का इन्तज़ार
बूढ़े तोते-सा
भूले सम्बोधन रटना
कितना खलता है