{{KKCatK avita}}
कितनी सरलता से
चली जाती है तू
असभ्यता और सभ्यता के
मिलन बिंदु पर
निर्वस्त्र होती हुई
जैसे प्रसव पीड़ा की
बेचैनी को याद करती
तेरी आत्मा
इस मांसावरण को चीर
नूतन रूप
धारण करना चाहती हो।
एंजलीना जोली - 2
{{KKCatK avita}}
कितनी सरलता से
चली जाती है तू
असभ्यता और सभ्यता के
मिलन बिंदु पर
निर्वस्त्र होती हुई
जैसे प्रसव पीड़ा की
बेचैनी को याद करती
तेरी आत्मा
इस मांसावरण को चीर
नूतन रूप
धारण करना चाहती हो।
एंजलीना जोली - 2