कितने वर्षों बाद
झरे मन धार
द्वार पर
बाँधे बंदनवार
दीप देहरी पर राखे
लीपा आँगन
रंग दी चूनर लाल
लाल
माथे की बिंदिया
पलकों के गहरे में भीगा
काजल का संसार
कितने वर्षों बाद
झरे मन धार
द्वार पर
बाँधे बंदनवार
दीप देहरी पर राखे
लीपा आँगन
रंग दी चूनर लाल
लाल
माथे की बिंदिया
पलकों के गहरे में भीगा
काजल का संसार