जब तू अपनी अच्छी
और प्यारी सहेलियों के नाम बताएगी
तो किताब का नाम लेना मत भूलना
वह जितनी बातुनी है
उतनी ही शर्मीली भी
तू अगर उसे बस्ते में ही बंद रखेगी
तो जान भी न पाएगी
कितनी कहानियाँ तुझे सुनाना चाहती है किताब
उसे हमेशा गोदी में लिए रहना
और उसका हाथ पकड़कर चलना
अनाथ बच्ची की तरह छोड़ मत देना अकेला
ये तू बाद में जानेगी
कि किताब तेरी बच्ची नहीं
माँ थी
पैदा होने के बाद हमें
कई-कई जन्म देने वाली माँ।