भूल तो नहीं गया मैं रचना
कुछ इस तरह जैसे सपने से जगा
और भूल गया सपना
नहीं पर ऐसा नहीं हुआ था
हुआ था वैसा ही
जैसा तैरना सीख जाने के बाद
ना तैरो बरसो बेशक
पर पानी में फेंको तो
चलने लगते हैं हाथ पाँव
पा ही जाती हैं देह किनारा
ठीक ऐसे ही
पहुँच गया
ना जाने कैसे
पास तुम्हारे