हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
किन्नै यो मांढा पिछवाडिआं
किन्नै यो पूर्या सै चोंक
मांढलड़ा सिरी राम का
.....मांढा पिछवाड़ियां
(यहां अपने प्रियजन का नाम ले लिया जाता है
और इसी प्रकार अन्य-अन्य नाम लेकर इसे बढ़ा लिया जाता है)
पंडत पूर्या सै चोंक
मांढलड़ा सिरी राम का