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किसका काँधा ! / कविता भट्ट

1
चुपके से ही
बिन कुछ कहे ही
सैनिक रोया
माँ को याद करके
वह माटी का पूत।
2
उनींदी आँखें
सैनिक-प्रेयसी की
जगती सदा
प्रेम-भरे दिनों की
अपलक प्रतीक्षा।
3
किसका काँधा
अश्रुओं से भिगोए
सैनिक-प्रिया
हुआ अभी-अभी ही
जिसका गर्भपात।
4
सीमा पर है
उस माँ का बेटा तो
जिसका घर
आपदा में बहा है
अब है बेसहारा ।
5
चूड़ियाँ रोईं
अब विरहन की
जिसका पिया
सीमा पर था तैनात
शहीद कहलाया।
6
सुमन रोता
नेताओं की रैली में
सुबक कहे-
सैनिक की प्रिया के
काश! केशों में सजूँ ।
7
आशा-संघर्ष
कुकुरमुत्ता बन
है मुस्कुराता
सड़े- गले जग में
जिजीविषा सिखाता ।

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