किसने बजाई बंसरी!
बरसात की इस रात में मेरी व्यथा कर दी हरी!
किसने बजाई बंसरी!
स्वर-कुंज में मुझको भला,
थपकी लगा, सुख से सुला,
गठरी पुराने प्यार की, दी खोल मोती से भरी!
किसने बजाई बंसरी!
भीनी सुगंधों से बसे-
रोमिल-सलोने चित्र से-
कितने बहाती ला रही, सुधि-निर्झरी, रस की भरी!
किसने बजाई बंसरी!
यह रागिनी युग-युग चले,
गीली रुई-सा मन जले!
रे, प्राण ले कर ही रहेगी, रात की रानी, मरी!
किसने बजाई बंसरी!
बरसात की इस रात में मेरी व्यथा कर दी हरी!
किसने बजाई बंसरी!