किसी ने पूछा
जीवन क्या है
पत्थर पर उगी
दूब बोली मैं हूँ
किसी ने पूछा
मृत्यु क्या है
पंछी ने कहा
बिना पिंजरा खेाले
देखना
एक दिन
उड़ जाऊँगा
किसी ने पूछा
मंजिल क्या है
थका मुसाफ़िर बोला
दिन भर एड़िया घिसकर
घर वापस आ गया
और सफ़र जारी है
किसी ने पूछा
कविता क्या है
तृष्णा ने कहा
एक सुन्दरी
पानी का गिलास
लेकर आयी
और शीशें उतर गयी
उत्तर देने वाले
फिर एक साथ बोले
जीवन का प्रवाह
उन्नत पहाड़ में नहीं
दौड़ती लहरों में है
जो गुनगुनाते हुए
टूटती और बनती हैं