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किस पे ये ग़म असर नहीं / हस्तीमल 'हस्ती'

किस पे ये ग़म असर नहीं करते
फ़िक्र लेकिन शजर नहीं करते

हम बदलते नहीं हवा के साथ
हम पे मौसम असर नहीं करते

एक सूरज बहुत ज़रूरी है
चाँद - तारे सहर नहीं करते

उन गुलों में महक नहीं आती
ख़ारों में जो बसर नहीं करते

रोने का भी सलीका होता है
अपने दामन को तर नहीं करते