कुंदन को रँगु फीको लगै, झलकै अति अंगन चारु गुराई।
ऑंखिन में अलसानि चितौन में, मंजु बिलासन की सरसाई॥
को बिन मोल बिकात नहीं, 'मतिराम कहै मुसकानि मिठाई।
ज्यों-ज्यों निहारिए नेरे ह्वै नैननि, त्यौं-त्यौं खरी निकसै सी निकाई॥
कुंदन को रँगु फीको लगै, झलकै अति अंगन चारु गुराई।
ऑंखिन में अलसानि चितौन में, मंजु बिलासन की सरसाई॥
को बिन मोल बिकात नहीं, 'मतिराम कहै मुसकानि मिठाई।
ज्यों-ज्यों निहारिए नेरे ह्वै नैननि, त्यौं-त्यौं खरी निकसै सी निकाई॥