क्या रोज़ाना की तरह
सुन्दर है यह समुद्र?
क्या हर समय
ऐसा ही दिखाई देता है
आकाश?
यह फर्नीचर,
ये खिड़कियाँ
क्या ये रहे हैं सर्वदा
ऐसे ही सुरूप?
नहीं,
ईश्वर की शपथ
नहीं
कुछ तो है
जो हो रहा है
कुछ अजीब।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह