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कुछ पति / अनामिका अनु

वह हर दिन ठगा जाता है
उसे पता है
फिर भी उसे ठगा जाना अच्छा लगता है ।

वह पत्नी को ठगने देता है,
ठग कर हंसी मोलना
पत्नी के लिए भी जोखिम भरा व्यापार है
वह जानता है ।

उसके भीतर वह खुद को महसूस
कर चुका है
उसे जीने देता है वे पल
जो जीवन ने पहले नहीं मुहैया कराए उसको
वह उसे चुनने देता है संगी मन का,
देता है खिलखिलाने की आज़ादी
वह नहीं टोकता है उसको
जब वह जी रही होती है
वे पल जब सब कुछ उसके मन का होता है ।

नहीं देता है धमकी कि छोड़ देगा
अगर वह संसर्ग में ख़ुश रहेगी ग़ैर के
बल्कि आश्वस्ति देता है
कभी नहीं छोड़ेगा साथ उसका
और जीने देगा ऐसे और भी पल,
वह सेवता है पत्नी के सपनों को
ताकि उससे निकल सकें चूज़े ।

हर सपने की उड़ान इन पतियों
के हृदय गर्भ से होकर गुज़रती है ।