सन्दूक से पुराने ख़त निकालती हूँ
कुछ भी नहीं बदला...
छुअन
एहसास
संवेदना!
पच्चीस वर्षों के पुराने अतीत में
सिर्फ़
उन उंगलियों का साथ
छूट गया है...
सन्दूक से पुराने ख़त निकालती हूँ
कुछ भी नहीं बदला...
छुअन
एहसास
संवेदना!
पच्चीस वर्षों के पुराने अतीत में
सिर्फ़
उन उंगलियों का साथ
छूट गया है...