Last modified on 7 सितम्बर 2020, at 11:06

कुछ लोग महब्बत से बिख़र जाते हैं / रमेश तन्हा

 
कुछ लोग महब्बत से बिख़र जाते हैं
बे-नाम से खदशात से डर जाते हैं
औहाम-परस्तों की है दुनिया ही अलग
वे लोग तो साहिल पे भी मर जाते हैं।