Last modified on 9 जुलाई 2017, at 18:10

कुण है बो / मदन गोपाल लढ़ा

दुनिया रै
हरेक गांव में
पक्कायत लाधैला आपनैं
गाभा सीड़तो दरजी
बाळ काटतो नाई
अर टापरा संवारतो कारीगर।

दुनिया रै
हरेक घर में
आप जोय सको
काच, कांगसियो अर तेल-फुलेल।

फुटरापै सारू आफळ
मानखै रो
जुगां-जूनो सुभाव है
पण कुण है बो
जको जद-कद
धूड़, धुंवै अर आग सूं
बदरंग कर न्हाखै
मिनखपणै रो उणियारो।