गर्मी का मेवा ले आया
है पुकारता कुल्फ़ी वाला॥
सुन पुकार कुल्फ़ी वाले की
दौड़ पड़ी बच्चों की टोली।
छूटे गुड़िया गेंद हाथ से
दूर जा पड़ी गुल्ली गोली।
दूध मलाई छुए न कोई
हम खायेंगे कुल्फ़ी आला॥
लालू मल्लू झूम-झूम कर
डोल डोल कर कुल्फ़ी खाते।
ठुनक रही है नन्ही गुड़िया
झर झर आँसू झरते जाते।
मम्मी मैं भी कुल्फ़ी लूँगी
रहने दो मोती की माला।