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कूर मिले मगरूर मिले / बोधा

कूर मिले मगरूर मिले, रनसूर मिले धरे सूर प्रभा को।
ज्ञानी मिले औ गुमानी मिले, सनमानी मिले छबिदार पता को॥

राजा मिले अरु रंक मिले, 'कवि बोधा मिले निरसंक महा को।
और अनेक मिले तौ कहा, नर सो न मिल्यो मन चाहत जाको॥