कूर मिले मगरूर मिले, रनसूर मिले धरे सूर प्रभा को।
ज्ञानी मिले औ गुमानी मिले, सनमानी मिले छबिदार पता को॥
राजा मिले अरु रंक मिले, 'कवि बोधा मिले निरसंक महा को।
और अनेक मिले तौ कहा, नर सो न मिल्यो मन चाहत जाको॥
कूर मिले मगरूर मिले, रनसूर मिले धरे सूर प्रभा को।
ज्ञानी मिले औ गुमानी मिले, सनमानी मिले छबिदार पता को॥
राजा मिले अरु रंक मिले, 'कवि बोधा मिले निरसंक महा को।
और अनेक मिले तौ कहा, नर सो न मिल्यो मन चाहत जाको॥