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केना केॅ ढोबै जिनगी / खुशीलाल मंजर

सब फुल फूललै फूललै परास
रोज-रोज देखै छी पिया के रऽ आस

दिनऽ से रात होलै रातऽ से दिन
देखतेॅ-देखतेॅ उगलै किरिन
तैहयो नै पिया के कहीं पता छै
नै जानौ भागऽ में की लिखलऽ छै
की हमरऽ मनऽ में ऐतै हुलास
सब फूल फूललै फूललै परास

कही केॅ गेलै कि घूरी केॅ अयभौं
कहियौ नै जिनगी में तौरा बिसरैभौं
है की लागलै करमऽ में फेर
सुक्खऽ के नाम नै दुक्खऽ के ढेर
फिकरऽ के वगिया में उगी गेलै घास
सब फूल फूललै फूललै परास

हम्मे नै जानलां कि हेत सतैभा
कहीं के हमरा है रं तरसैभा
तरसै छी साथऽ लेॅ साथें लगाय लेॅ
सभ्भै रऽ उलाहना से हमरा बचायलेॅ
केना केॅ ढोबै जिनगी के लास
सब फूल फूलतै फूललै परास