Last modified on 5 अप्रैल 2017, at 17:45

केना रहबोॅ / राजकुमार

केना रहबोॅ समइया, अगोर बहिना
डेगे-डेगे ठाढ़ोॅ छै, चोर बहिना

दिन कटै छै त, जिनगी लगै कटि गेलोॅ
घाव के टीस सें, हर खुशी, पटि गेलोॅ
रात के बाँहि में छै, ईंजोर बहिना
डेगे-डेगे ठाढ़ोॅ छै, चोर बहिना

चौतरफ से दबैंनैं, जे अँधियार छै
ई हवा नै छै, बिषधर रोॅ फुफकर छै
कैहिनोॅ मौसम बेदरदी, कठोर बहिना
डेगे-डेगे ठाढ़ोॅ छै, चोर बहिना

आँख अब नै छिकै, आँख रोॅ रास्ता
आदमी आदमी सें, कहाँ वास्ता
नेह टूटलोॅ छै, सांसत में लोर बहिना
डेगे-डेगे ठाढ़ोॅ छै, चोर बहिना

कैकटस छै, बिथरलोॅ शहर-गाँव में
हर घड़ी दाव में, धूप में छाँव में
फूल-पत्ती छै, बिपदा बटोर बहिना
डेगे-डेगे ठाढ़ोॅ छै, चोर बहिना

‘राज’ पकड़ै ली लागै, समय सोर के
जोत घिरलोॅ जे, अँधियार के चोर से
अब नैं दबतै, पुरूबिया रोॅ ठोर बहिना
डेगे-डेगे ठाढ़ोॅ छै, चोर बहिना