केन्होॅ भुतहा गाँव लगै
शील होय गेलोॅ पाँव लगै
हर पाशा पर पांडव केरोॅ
खाली गेलोॅ दाँव लगै
पत्थर फेकलोॅ करोॅ नै कभियो
केकरो ठाँव-कुठाँव लगै
की होलै कि कोयलो बोली
काँव-काँव बस काँव लगै
समय देखी नै लागौं केकरो
‘आभा’ केॅ तेॅ झाँव लगै ।