Last modified on 9 जनवरी 2011, at 15:13

केला / केदारनाथ अग्रवाल

समय बदला
कटे पत्ते
बड़े लम्बे हौसले के :
जड़ें गाड़े खड़ा केला
अब अकेला
तना भर है,
जिए चाहे जिए जैसे,
बना भर है,
हरा हरदम गया
गम से नहीं दहला

रचनाकाल: ०४-०४-१९६८