केला काटिय कोर<ref>कोड़कर</ref> रोपल्हाँ, तहि रे तरे खटिया ओछाइल्हाँ<ref>बिछाया</ref> हे।
आरे, चारो रे पौआ<ref>पाया; चारपाई के उन डंडो के आकार के निचले अंगों में से कोई एक जिनके बल पर वह खड़ी रहती है</ref> घुँघरू लगाइल्हाँ, तहि रे उपर घुँघरू लगाइल्हाँ कि साजन हे॥1॥
तेहि पैसी सुतल बलेमु मोर कि साजन हे, खटिया चढ़ैते पसिया<ref>पाटी</ref> टूटल हे।
टूटी रे गेलअ सतोसटिक<ref>सात लड़ी की</ref> हार, पिया रे मन भै गेलअ बिरोग<ref>विरक्ति, संताप</ref> कि साजन हे॥2॥
हमरी ऐंगन साजन ऐहऽ<ref>आना-जाना</ref> जैहऽ, फैनु<ref>फिर</ref> घोरैबअ<ref>बुनवाऊँगा</ref> हिंगरैली<ref>लाल रंग से, सिंदूर के रंग से रँगी हुई</ref> खाट कि साजन हे।
जुरबा<ref>जूड़ा</ref> बान्हबअ पाटी पारबअ<ref>पाटी पारना=सिर के बालों को बीच से अलग करके आगे के बालों को गूँथकर और चोटी करके सँभालकर बाँधना</ref>, लिखि रे लिखि<ref>रच-रचकर</ref> पिन्हबअ सिनूर कि साजन हे॥3॥