केवल उजाला नहीं
अंधेरा भी चाहिए मुझको
-दोनों एक साथ।
उजाला : जो चाहे उजलाता
ख़ुद से विलग करता है
अंधेरा : ख़ुद में मुझे जो समो लेता है
पर उजलाता नहीं
इसलिए तुम्हारी घनी धुंध में हूँ
जिसकी समाई में
खो रहा
हर पग
उजला करता जाता है
आगे का मग।