कैन बोलि / सुधीर बर्त्वाल

सूखू बूती हर्ंयु जामणू
कैन बोलि यख कुछ नी रऽजणु ?
कसा त सै कमर
देखा त सै सुपिना
रखा त सै मंथा
घैंटा त सै ठंगरा
करीक यख सब कुछ पऽजणू
कैन बोलि यख कुछ नी फऽबणू ?
फोड़ा त सै ढीका
गाड़ा त सै चाला
चीणा त सै पैरा
बणा त सै बाटु
अखण्ड द्यू अभी भी च जऽगणू
कैन बोलि यख कुछ नी सऽजणू ?
लगा त सै गीत
सरका त सै माया
बरखाऽऽ त सै प्रीत
कमा त सै मान
छाळु पाणी अभी भी च बऽगणू
कैन बोलि यख कुछ नी रऽजणू ?

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