दिन में
उतनी ही बार
निगलनी हैं गोलियाँ
जितनी बार कहते थे--
सुनिये...
कि ज़िन्दा होने के
कुछ तो भरम
बाकी रहें
घुलनशील कैप्सूल
सुन्दर दिखता है
लेकिन कड़वा है
दिन में
उतनी ही बार
निगलनी हैं गोलियाँ
जितनी बार कहते थे--
सुनिये...
कि ज़िन्दा होने के
कुछ तो भरम
बाकी रहें
घुलनशील कैप्सूल
सुन्दर दिखता है
लेकिन कड़वा है