Last modified on 11 मई 2009, at 08:09

कैलेंडर नया होगा / विजय वाते

बदलने मौसमों का फिर वही तो सिलसिला होगा।
नया होगा तो बस इतना कि कैलेंडर नया होगा।

रिनासां से चले थे हम वाय-टू-के तक आ पहुँचे,
अब अगले मील के पत्थर पे वाय-टू-थ्री-सी लिखा होगा।

तमंचे तोप तलवारें मिसाइल और एटम बम,
रहे होंगे, मगर मन का, कोई कोना हरा होगा।

हमारे ख़्वाब भी अब तो हक़ीकत ही हक़ीक़त हैं,
कभी इक गाँव हो दुनिया कोई तो सोचता होगा।

ज़मी रहने दो रिश्तों पर बरफ़ सी ठंड की चादर,
सुबह सूरज जो निकलेगा तो मौसम गुनगुना होगा।