Last modified on 6 मार्च 2010, at 20:21

कैसा साहिल! / सुरेन्द्र कुमार वत्स

कैसा साहिल!
सो जा, ऐ दिल।

चहल-पहल,पर
सूनी महफ़िल।

ख़ुदा के जैसी,
अपनी मंज़िल।

हम बच्चे हैं,
तारे झिलमिल।

हमीं मरें और,
हम ही क़ातिल।

चूहों के घर
साँपों के बिल।

मरना आसाँ,
मरना मुश्किल।

फ़ाज़िल तुम हो,
तुम ही कामिल।