कैसी मुश्किल आई!
हँसता हूँ तो बाबा कहते,
‘मत बंदर से दाँत दिखाओ।’
चुप रहने पर दादी कहती,
‘राजा बेटा हो, मुस्काओ!’
किसकी मानूँ, भाई
कैसी मुश्किल आई?
उछलूँ, कूदूँ, दौडूँ तो, झट-
गिरने का सब डर दिखलाते
खेल-कूदकर स्वस्थ रहोगे
मुझे गुरु जी यह समझाते
किसमें है-सच्चाई?
कैसी मुश्किल आई!
मम्मी कहती, ‘टॉफी दूँगी
दूध अगर सब पी जाओगे।’
पापा कहते, रेल न दूँगा,
चीज़ देख यदि ललचाओगे!’
किसकी करूँ बड़ाई,
कैसी मुश्किल आई!