कैसी ये ज़फ़र-याबी है, कैसी है ये जीत
इंसान ही इंसान से जब हो भयभीत
खूं बहता है इंसान का ही दोनों तरफ
गाएं भी तो कैसे देश भगती के गीत।
कैसी ये ज़फ़र-याबी है, कैसी है ये जीत
इंसान ही इंसान से जब हो भयभीत
खूं बहता है इंसान का ही दोनों तरफ
गाएं भी तो कैसे देश भगती के गीत।