मृत्यु यदि करती होती नहीं
मुझ को प्यार
विवश किस लिए खिंची आती
वह मेरी ओर
पुरुष को नहीं है
इनकार का अधिकार
निमन्त्रण इस लिए उस का
कैसे करूँ अस्वीकार
लो, धर्म कर दो मुझे
आलिंगन में अपने
मुक्ति हो जाओ
हो कर प्यार ।
—
18 अप्रैल 2009
मृत्यु यदि करती होती नहीं
मुझ को प्यार
विवश किस लिए खिंची आती
वह मेरी ओर
पुरुष को नहीं है
इनकार का अधिकार
निमन्त्रण इस लिए उस का
कैसे करूँ अस्वीकार
लो, धर्म कर दो मुझे
आलिंगन में अपने
मुक्ति हो जाओ
हो कर प्यार ।
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18 अप्रैल 2009