कैसे कह दूं कि तुम्हें, याद नहीं करता हूँ
दर्द सीने में हैं, फ़रियाद नहीं करता हूँ
तेरा नुक्सान करूं सोच नहीं सकता मैं
मैं तो दुश्मन को भी बरबाद नहीं करता हूँ
तेरी तारीफ़ सदा सच्ची ही की है मैनें
झूठे अफ़साने मैं ईजाद नहीं करता हूँ
साक़ी पैमाने से यारो मुझे है क्या लेना
किसी मैख़ाने को आबाद नहीं करता हूँ
मेरे अरमानों को तुमने है कुचल डाला सनम
मैं शिकायत कभी सय्याद नहीं करता हूँ