Last modified on 26 दिसम्बर 2009, at 17:55

कोई आकर पूछे / मोहन राणा

रुके और पहचान ले
अरे तुम
जैसे बस पलक झपकी
कि रुक गया समय भी
कुछ अधूरा दिख गया
और याद करते
कुछ अधूरा छूट गया
फिर से
चलत-चलते

रचनाकाल: 1.8.2005