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कोई दीप जलाओ (गीत) / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बुझ गया चंदा, लुट गया घरवा, बाती बुझ गई रे
दैया राह दिखाओ
मोरी बाती बुझ गई रे, कोई दीप जलाओ
रोने से कब रात कटेगी, हठ न करो, मन जाओ
मनवा कोई दीप जलाओ
काली रात से ज्योती लाओ
अपने दुख का दीप बनाओ
हठ न करो, मन जाओ
मनवा कोई दीप जलाओ