कोई रिश्ता न रहा भाई से
फ़ायदा ये हुआ कमाई से
अब भलाई न हो भलाई से
क्या बुराई मिटे बुराई से
अपना जीवन भी रेहन पर रक्खा
मुँह भी मीठा किया मिठाई से
अपनी ग़ैरत को बेचकर भी वो
हँस रहे हैं बड़ी डिठाई से
कोई पढ़ता नहीं है कुछ यारो
बाज आए क़लम घिसाई से
उम्र भर नींद में रहे 'रौशन'
अब शिकायत है चारपाई से