कोटि प्रणाम तुझे पँहुचे, निज प्राण गँवा क्षिति लाज बचाए।
भाल समुन्नत भारत का, करके निज उन्नत शीश कटाए।
धन्य हुई जननी जिसने, तुझको पयपान अमोघ कराए।
पीठ बिना अरि हंत किए, जिसने रण में क्षण भी न दिखाए।
कोटि प्रणाम तुझे पँहुचे, निज प्राण गँवा क्षिति लाज बचाए।
भाल समुन्नत भारत का, करके निज उन्नत शीश कटाए।
धन्य हुई जननी जिसने, तुझको पयपान अमोघ कराए।
पीठ बिना अरि हंत किए, जिसने रण में क्षण भी न दिखाए।