कोयला जैसा बाहर से
वैसा ही भीतर से है ।
फिर भी
दूसरों के लिए
जलता है ।
आदमी का आजकल
पता ही नहीं चलता है ।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा
कोयला जैसा बाहर से
वैसा ही भीतर से है ।
फिर भी
दूसरों के लिए
जलता है ।
आदमी का आजकल
पता ही नहीं चलता है ।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा