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कोयल / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

कोयल आवै छै वसंत में
एकदम जाड़ा के अंत में

डारी-डारी कोयल बोलै
कू-कू बोलै हौले-हौले

मीट्ठोॅ बोली बोलै कोयल
रूनझुन जेनां बाजै पायल
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बूलै छै ऊ ठारी-ठारी
बोली मीट्ठोॅ पर छै कारी

गीत वसंती कोयल गावै
दुनियाँ भर के मन हरसावै

जेना गोरी गोड़ै पायल शोभै
वहिना कोयल जग मन लोभै

कौआ के ठग्गे छै कोयल
कौआ पोसै बच्चा कोयल

यही लेली तेॅ रानी छै
कोयल बहुत सयानी छै