कोरोना ने दे दिया, घर में ही वनवास।
अच्छे दिन की आस में, बीत गये त्रय मास।
बीत गये त्रय मास, न कोई दिखता है हल।
श्रमिक हुए बेहाल, सड़क पर निकले दल-बल।
दो-दो गुरुतर भार, साथ में कैसे ढोना।
एक करैला भूख, नीम दूजा कोरोना॥
कोरोना ने दे दिया, घर में ही वनवास।
अच्छे दिन की आस में, बीत गये त्रय मास।
बीत गये त्रय मास, न कोई दिखता है हल।
श्रमिक हुए बेहाल, सड़क पर निकले दल-बल।
दो-दो गुरुतर भार, साथ में कैसे ढोना।
एक करैला भूख, नीम दूजा कोरोना॥