♦ रचनाकार: अज्ञात
कौने मोर पोखरी खोनाबे<ref>खुदवाया</ref>, कौने मोर पुरैनी<ref>पुरइन; कमल का पत्ता</ref> रोपल हे।
असहें<ref>ऐसे ही</ref> बेसहें<ref>खरीदने</ref> गेलअ<ref>गया</ref> हे॥1॥
राम मोर पोखरी खोनाबे, सीता मोर पुरैनी रोपल हे।
असहें बसहें गेलअ हे॥2॥
ओहि पोखरी लहाबे<ref>स्नान करने</ref> गेलअ, कवन भाई।
असहें बसहें गेलअ हे॥3॥
शब्दार्थ
<references/>