कौन अपनाएगा हमारा दिल
दर्द से टूटता बिचारा दिल,
तेरे दिल से नहीं मिलन मुमकिन,
दिल मेरा रह गया कुंवारा दिल
इश्क़ करने का बस ये हासिल है,
हिज्र की रात और ये हारा दिल,
नाम इसको ग़ज़ल दिया सबने,
हमने कागज़ पे था उतारा दिल
मरने वाला था एक सदमे में
हमने फिर जोर से पुकारा "दिल"