कौन नया यह मंत्र तुम्हारी
साँसों से कानों में जाए
जाग उठा
सारासचराचर
फूलों-सी चटकी
उल्काएँ
रागों से रंजित हुई वाणी
अधर-पुटों तक रस सरसाए
जाए नहीं पर
हाय, नहीं जाये
देह धरण का द्वैत न जाए
कौन नया यह मंत्र तुम्हारी
साँसों से कानों में जाए
जाग उठा
सारासचराचर
फूलों-सी चटकी
उल्काएँ
रागों से रंजित हुई वाणी
अधर-पुटों तक रस सरसाए
जाए नहीं पर
हाय, नहीं जाये
देह धरण का द्वैत न जाए